भगवान परीक्षा कब लेते हैं

Hello दोस्तों, दोस्तों हमारे मन में हमेशा एक चिंतन होता है की भगवान हमारी परीक्षा क्यों लेते हैं, और अगर लेते हैं तो क्यों लेते हैं । दोस्तों में आज आपको इसी के बारे में बताऊंगा कि भगवान परीक्षा कब लेते हैं । मैं आपको यह भी स्पष्ट करूंगा की भगवान हमारी परीक्षा ले रहे हैं तो क्यों ले रहे हैं तो दोस्तों मैं आपको इसके बारे में बता देता हूं ।

भगवान परीक्षा कब लेते हैंभगवान परीक्षा क्यों लेते हैं

दोस्तों आपका प्रश्न यह है कि भगवान परीक्षा कब लेते हैं लेकिन उससे पहले आपको यह भी जानना जरूरी है की भगवान परीक्षा क्यों लेते हैं। हम अक्सर हमारे जीवन में बहुत की गलत कार्य कर रहे होते है। हम अपने जीवन में शराब पीना, धूर्म पान करना , ईर्ष्या करना, लोगो की निंदा करना ऐसे अनेक दूषित कार्य करना। जो इंसान इन जब कार्यो में सम्मिलित रहता है भगवान उनका कभी परीक्षा नहीं लेते। दोस्तों इस तरह के लोग तो खुद ही इस जड़ो जगत्त के मोह माया में फस चुके है तो भगवान इनकी क्या ही परीक्षा लेंगे। 

भगवान हमेशा उनकी परीक्षा लेते है जो सत्य के राह पर चलते है सत्य को जानते है सत्य को मानते है। इस तरह के इंसान अक्सर आप देखेंगे की अनेक तरह के कार्यो में फसे रहते है तो भगवान ही उनको इन छोटी छोटी उलझनों में डालते है ,ताकि वो जान सके की भगवान उनकी परीक्षा लेह रहे है,और ऐसे लोग अक्सर समज जाते है की भगवान ही उनको इस जड़ो जगत के छोटे छोटे माया में फसा देते है और फिर वही इन्हे इन माया से निकलते है।

दोस्तों भगवान परीक्षा लेते समय अपने भक्त को कुछ संकेत भी देते है की वही इसे इस माया में फसाये है और फिर वही संकेत देते है कि कैसे इस माया से निकलना पड़ता है। दोस्तों में आपको कुछ Point के साथ उस संकेत के बारे में निचे बता देता हु।

  • धैर्य की परीक्षा : दोस्तों हम अपने जीवन में जो भी कार्य करते हैं हम यही सोचते हैं कि कुछ भी करें वह जल्द से जल्द हो जाए और अच्छे से हो जाए उसे कार्य को करने में कितना समय लगता है इस बात का चयन ना करते हुए हम ही हो सोचने लग जाते हैं कि कब और कितना जल्दी खत्म हो जाए। बस भगवान हमें इसी जगह परीक्षा लेते हैं कि मनुष्य कितने धैर्य के साथ अपने कार्य को करता है भगवान हमें परीक्षा लेता है कि इंसान अपने अंदर कितना धैर्य को छुपाए बैठा है
  • पुनः प्रयास की प्रेरणा : हम अपने जीवन में अक्सर कोई भी कार्य को करते हैं अगर हमें उस कार्य में किसी भी प्रकार के बाधक अनुभव होता है, तो हम हम उसे कार्य को करने में मन नहीं लगा पाते हैं,और हम उसे कार्य को पुनः प्रयास नहीं करते जिसके वजह से भगवान यहां नाराज होकर हमसे परीक्षा लेने लगते हैं। हम कोई भी कार्य को पुन: प्रयास न करते हुए उसे समाप्त कर देते हैं। इसीलिए हमें कोई भी कार्य को सच्चे दिल से अपना प्रयास करना चाहिए।
  • सही मार्गदर्शन : दोस्तों हम कोई भी कार्य को करते हैं तो हम अक्सर नहीं समझ पाते हैं कि उसे कार्य की सही मार्ग क्या है इस जगह पर अगर हम सच्चे दिल से किसी भी कार्य को करते हैं तो भगवान हमें सही मार्गदर्शन करने का रास्ता देता है जिससे हम उसे कार्य को सफलतापूर्वक कर पाते हैं।

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भगवान परीक्षा कब लेते हैं 

दोस्तों जब हम किसी भी कार्य को सच्चे दिल से करने पर भगवान हमें Indirect कोई ना कोई परीक्षा लेते हैं। भगवान हमें उसे कार्य में यह परीक्षा लेते हैं, कि व्यक्ति जो भी कार्य कर रहे हैं उसमें उसका मन लगन और बुद्धि का प्रयोग हो रहा है या नहीं व्यक्ति अगर मन से किसी भी कार्य को करते हैं तो उसे किसी भी प्रकार का बाधा का सामना नहीं करना पड़ता है और भगवान के दिए हुए परीक्षा में भी वह पास हो जाता है। इसलिए आप कोई भी कार्य करते हैं उसमें अगर आपके साथ किसी भी प्रकार का परीक्षा देना हो तो आप निसंदेह पूर्वक उसे कार्य को करें और भगवान के ऊपर विश्वास रखें।

निष्कर्ष : तो दोस्तों मैंने आपको स्पष्ट तरीकों से बता दिया कि भगवान परीक्षा कब लेते हैं । जैसा कि मैंने बताया आपको आप किसी भी कार्य को सच्चे दिल से करेंगे तो भगवान जरूर आपसे परीक्षा लेंगे निसंदे पूर्वक आप उसे कार्य को करते रहें,और आप देखेंगे कि भगवान के दिए हुए परीक्षा में भी पास हो चुके हैं और अपने कार्य में सफल भी हो चुके हैं। दोस्तों अगर मेरा यह लेख आपको पसंद आया तो आप इसे subscribe भी कर सकते हैं मैं इसी तरह के अच्छे-अच्छे आध्यात्मिक चीजों के बारे में बताता रहता हूं।

क्या होता है जब भगवान आपकी परीक्षा लेते हैं?

दोस्तों भगवान जब हमारी परीक्षा लेते हैं तो हमें कुछ चीजों की अनुभूति होती है जैसे कि हम कोई भी सही कार्य को कर रहे होते हैं। तो उसमें कोई ना कोई बड़ा आता है जिससे हमें आभास होता है। अगर हम उसे कार्य को सच्चे दिल से करते हैं तो हमें पता होता है कि भगवान ही हमारी परीक्षा ले रहे हैं। तो इस समय हमें घबराना नहीं चाहिए और भगवान पर विश्वास रखकर उसे कार्य को सफलतापूर्वक करना चाहिए।

हमें कैसे पता चलेगा कि भगवान हमारी परीक्षा ले रहे हैं?

हम किसी भी कार्य को कर रहे होते हैं तो हमें थोड़ा-थोड़ा अनुभव होने लगता है कि भगवान हमारी परीक्षा ले रहे हैं क्योंकि अगर आपको पता है कि आप कोई भी कार्य को कर रहे हैं वह सही है फिर भी कोई ना कोई बाधा आ रही है उसे कार्य को करते वक्त तो इस समय व्यक्ति को समझना चाहिए कि भगवान हमारी परीक्षा ले रहा है।

भगवान हमारी कब सुनता है

आप किसी भी कार्य को कर रहे हैं तो सबसे पहले आपको उसे कार्य के प्रति नीरव होना चाहिए और ऊपर वाला से विश्वास रखना चाहिए कि हम जो भी कर रहे हैं सही कर रहे हैं ऊपर वाला हमारे अच्छे कार्य को करते देखता है कि व्यक्ति सच्चे दिल से उसे कार्य को कर रहा है तो भगवान हमारा सुनता है और उस कार्य को सफल बनाता है।

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