Hello दोस्तों आजकल सनातन धर्म में मंत्र का बहुत ही महत्व स्थान माना जाता है । दोस्तों हर युग में भगवान को पाने का अलग-अलग साधन होता था पर कलयुग में भगवान को पाने का बहुत ही सरल साधन है । दोस्तों आज मैं आपको 16 अक्षर का महामंत्र के बारे में बताने वाला हूं जो की कलयुग में इसे बहुत ही महत्व दिया जाता है ।
16 अक्षर का महामंत्र क्या है
दोस्तों कलयुग को हम पापों का घर दुखलम भी कहते हैं अर्थात दुखों से भरा यह संसार इस युग में मनुष्य का मन चंचल आयु कम और भक्ति की क्षमता कमजोर होती है ऐसे में श्रील प्रभुपाद जो कि Iskcon के आचार्य हैं उन्होंने ही हमें कलयुग में मां भगवान से जुड़ने के लिए महामंत्र का जाप करने को बोले हैं उन्होंने ही हमें भगवान से जुड़ने में बहुत ही मदद की है भगवान ने नाम जब को बहुत ही सरल तरीकों से कलयुग में मनुष्य के जीवन में दिया है भगवान ने कलयुग में एकमात्र नाम संकीर्तन को ही मोक्ष का सरल मार्ग बताया है । दोस्तों इस युग मे 16 अक्षर का महामंत्र को सबसे श्रेष्ठ और प्रभावशाली मंत्र माना गया है इसे जपने से मनुष्य पापों से मुक्ति होकर मोक्ष की ओर अग्रसर हो सकता है । तो दोस्तों 16 अक्षर का महामंत्र कुछ इस प्रकार है:
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
16 अक्षर के महामंत्र का अर्थ
हरे : दोस्तों हारे का अर्थ जो कि सारे कष्ट दुख और हीरा को हर ले यानी स्वयं श्री हरि
कृष्ण : दोस्तों कृष्णा का अर्थ सर्वाधिक आकर्षक होता है। कृष्ण वह हैं जो अपनी दिव्य लीला, स्वरूप और गुणों से सम्पूर्ण सृष्टि को अपनी ओर खींच लेते हैं। यहाँ कृष्ण का स्मरण करने का अर्थ है – परम आनंद और भक्ति की ओर आकर्षित होना।
राम : दोस्तों इसमें स्वयं श्री राम जी का वर्णन किया गया है। दोस्तों इसमें श्री राम यानी आनंद स्वरूप या जिसमें आत्मा को आनंद मिलता है। राम नाम से भगवान श्रीराम भी अभिप्रेत हैं और साथ ही यह परम शांति और सुख का प्रतीक है।
दोस्तों इस महामंत्र में हरे, कृष्णा और राम जी का ही अर्थ बार-बार आया है तो मैंने आपको इन तीनों शब्दों का अर्थ बताया है । कलयुग में केवल भगवान का नाम ही एकमात्र सहारा है और अन्य कोई साधन नहीं है कलयुग में एकमात्र 16 अक्षर का महामंत्र ही हमें इस मोह माया की दुनिया से उद्धार कर सकता है ।
16 अक्षर के महामंत्र का महत्व
दोस्तों इस मंत्र को हम Bhagwat Gita के कुछ Sholok के माधयम से समझने का प्रयास करेंगे तो में आपको कुछ शोलोक के माधयम से इसे बताने का प्रयास करता हु:
श्रीमद्भागवत महापुराण (12.3.51)
“कालेः दोषनिधे राजन् अस्ति ह्येको महान् गुणः ।
कीर्तनादेव कृष्णस्य मुक्तसंगः परं व्रजेत् ॥”
अर्थ : हे राजा ! यह कलयुग दोषो का समुद्र है, इसमें हम लोगों को जीवन यापन करना बहुत ही कठिन कार्य है, लेकिन इसमें एक महान गुण है,कि केवल भगवान के नाम का ही कीर्तन और जप करने से ही हमें मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं अर्थात भगवान हमें इसमें यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि इस जड़ो जगत में बहुत सारे ऐसे कलयुग के प्रभाव देखने को मिलेंगे जिसमें कि हम इसमें फस जाते हैं और भगवान को बुलाना और नाम जाप एवं कीर्तन करना भूल जाते हैं इसलिए भगवान ने हमें उन्हें पुकारने के लिए कलयुग में बहुत ही सरल उपाय दिए हैं हम सिर्फ भगवान के नाम जब से ही उन्हें प्राप्त कर सकते हैं।
चैतन्य चरितामृत (आदि लीला 17.22)
“हरे नाम हरे नाम हरे नामैव केवलम् ।
कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरन्यथा ॥”
अर्थ : दोस्तों इस मंत्र हमें यह बताने का प्रयत्न कर रहे हैं कि इस युग में भगवान का नाम है एकमात्र ऐसा साधन है जो हमें मुक्ति के मार्ग पर ले जा सकता है इसके अलावा अन्य कोई साधन नहीं है बाकी युगों में भगवान को पाने के लिए बहुत ही कठिन तपस्या साधना तब यज्ञ एवं अन्य सारे साधनाओं से होकर गुजरना पड़ता था तब जाकर भगवान हमें प्राप्त होते थे । लेकिन इस युग में भगवान को पाने के लिए बहुत ही सरल मार्ग है जो कि भगवान का नाम जप और कीर्तन इसी से हम हम भगवान को प्रसन्न कर सकते हैं और अपने जीवन में खुशी और आनंदी रह सकते हैं।
16 अक्षर के महामंत्र जप के लाभ
1. मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति
दोस्तों इस मंत्र के जप से हमें मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति का कलयुग में सबसे साधन मंत्र माना गया है । मनुष्य अपने जीवन काल में बहुत सारे ऐसे परेशानियों का सामना करते हैं जिससे उसकी Depression जैसे अन्य सारे समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिससे व्यक्ति तनाव और अशांति से ग्रसित हो जाते हैं लेकिन अगर वह व्यक्ति भगवान का नाम जब और कीर्तन करता है तो वह चाहे कितने भी परेशानियों में रहे उन्हें कभी भी परेशानियों को Feel कर ही नहीं पाएगा वह हमेशा आनंद और उमंग में रहेगा।
2. पापों का नाश
दोस्तों शास्त्रों के अनुसार हमें यह बताया गया है कि 16 अक्षर का महामंत्र हमारे जीवन और पूर्व जीवन के पापों को भी नष्ट करने का समर्थ रखता है अगर आप रोज इस मंत्र का 16 बार जब करते हैं यानी एक जप में 108 बार महामंत्र का उच्चारण होता है इस तरह एक माला में 108 बार महामंत्र का उच्चारण करते हैं अगर हम इस तरह प्रत्येक दिन 16 बार इस माल को करें तो यानी 16*108= 1728 बार भगवन का नाम जप कर सकते है जिससे हमारे जीवन के किये गए पूर्व पाप धीरे धीरे नष्ट हो जायेंगे।
3. भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि
दोस्तों इस मंत्र के जप से भगवान श्री कृष्णा और श्री राम जी के प्रति प्रेम और आकर्षण बढ़ता है हमें धीरे-धीरे यह व्यतीत होता है कि भगवान के अलावे हमारे जीवन में और कोई भी नहीं है इस धरातल में सारे मनुष्य के जन्म होते हैं और सारे मनुष्य के मृत्यु भी होते हैं पर हम यह समझते हैं कि यहां हमारे सब अपने हैं पर सही मायने में कोई हमारे अपने नहीं होते हैं वो सारे भगवान के शिष्य होते हैं। इस तरह अगर हम भगवान को समझ जाए तो भगवान के प्रति आस्था और प्रेम भाव प्रकट होते हैं जिससे हम धीरे-धीरे भगवत प्रेम में लीन हो जाते हैं।
4. घर और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा
दोस्तों इस मंत्र के जप से हम सब के सरे नकारात्मक ऊर्जा दूर होता है और चारो तरफ Positive वातावरण फैला रहता है जिससे हमारे हजारो में सकरात्मक ऊर्जा का वास होता है। इस तरह से अगर आप इस मंत्र का जप सच्चे मन और निष्ठा से करेंगे तो आप महसूस कर पाएंगे की आपके जीवन में बहुत सारे बदलाव ए है।
16 अक्षर का महामंत्र जप करने की विधि
दोस्तों 16 अक्षर का महामंत्र के जप करने के वैसे बहुत सारे नियम है लकिन में आपको कुछ मुख्य विधि के बारे में बतऊँगा जिससे आप इन सब नियमो के पालन करने से ही आपको लाभ प्राप्त होगा। तो दोस्तों आपको सबसे स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए और किसी पवित्र स्थान पर आसन लगाकर बैठना चाहिए। जप के लिए तुलसी की माला सबसे उत्तम मानी गई है। माला में 108 मनके होते हैं और जप करते समय अंगूठे और मध्यमिका उंगली का प्रयोग करें, तर्जनी का नहीं।प शुरू करते समय भगवान श्रीकृष्ण या श्रीराम के चरणों में ध्यान लगाएँ और धीरे-धीरे पूरे भाव से नाम का उच्चारण करें। शुरुआत में प्रतिदिन कम से कम एक माला (108 बार) जप करना चाहिए। अभ्यास के साथ यह संख्या बढ़ाई जा सकती है।
निष्कर्ष
तो दोस्तों कैसा लगा में ये 16 अक्षर का महामंत्र को बताने की विधि दोस्तों मैंने आपको इस लेख में सारे अर्थ, महतव, लाभ और विधि के बारे में बारीकी से समझाया है मैंने आपको वो सारे विधि के बारे में बताया अगर आप इन सारे विधि को सच्ची निष्ठा और लगन से जप करेंगे तो आप अपने जीवन में बहुत सारे changes देखने को मिलेंगे। तो दोस्तों अगर आपको मेरा ये लेख थोड़ा सा भी अच्छा लगा हो तो आप मुझे FLow कर सकते है में आपको ऐसे ही अच्छे अच्छे लेख के बारे में बताता रहता हु।
महा मंत्र कौन सा है?
दोस्तों 16 अक्षर का महामंत्र कुछ इस प्रकार है
“हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे॥”
दोस्तों यह मंत्र 16 अक्षरों का है, इसलिए 16 अक्षर का महामंत्र भी कहलाता है। इसमें श्रीकृष्ण और श्रीराम दोनों भगवान के नाम हैं। शास्त्र कहते हैं कि यह मंत्र पापों का नाश करता है, मन को शांति देता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। इसलिए इसे कलियुग का सर्वश्रेष्ठ और तारक मंत्र कहा जाता है।
दुनिया का नंबर 1 मंत्र कौन सा है?
“हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे” विश्व का सर्वोच्च मंत्र है। “हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।” यह 16 अक्षर का महामंत्र है, और यह कलियुग का सबसे अच्छा, सरल, पाप-नाशक और मोक्ष देने वाला मंत्र है।
कौन सा मंत्र जल्दी सिद्ध होता है?
यह 16 अक्षर का महामंत्र है। यह साधारण है और कोई भी इसे जप सकता है। नियमित रूप से इस मंत्र का जप मन को शांत करता है, पापों को मिटाता है और आत्मा को शुद्ध करता है। इसलिए यह मंत्र जल्दी सिद्ध होता है और साधक को भक्ति, सुख और मोक्ष की ओर ले जाता है।
