Prabhupada Pranam Mantra Lyrics

Helllo दोस्तों क्या आपको पता है, की श्रील प्रभुपाद कौन है तो आज में आपको उनके बारे में और Prabhupada Pranam Mantra Lyrics के बारे में बताने वाला हु । दोस्तों श्रील प्रभुपाद ने पूरे विश्व में इस्कॉन की स्थापना की थी । उन्होंने हमें सिखाया था कि कैसे हम श्री कृष्ण को पुकार सकते हैं और उन्होंने हमें श्री कृष्ण महामंत्र के बारे में बताया था ।

Prabhupada Pranam Mantra Lyrics

दोस्तों आज उसी की वजह से हम लोग कृष्णा को जान पर पाते हैं उन्होंने ही पूरे विश्व में धर्म की स्थापना की थी और सबको यह बताया था कि सनातन धर्म क्या है । तो दोस्तों आज मैं आपको उन्हीं के बताए गए मंत्र के बारे में बताऊंगा दोस्तों प्रभु बात को प्रणाम करते वक्त हमें जो Mantra का उच्चारण करना चाहिए आज मैं उन्हीं के बारे में आपको बताने वाला हूं

Prabhupada Pranam Mantra Lyrics

दोस्तों श्रील प्रभुपाद के मंत्र जानने से पहले में आपको उनके बारे में कुछ बता देता हु । दोस्तों उन्होंने हमारे लिए एक कमिटी की स्थापना किया था जो ISKCON (International Society for Krishna Consciousness) की स्थापना की थी। दोस्तों आज इसी के वजह से हमलोगो कृष्णा को अच्छे से पाए है। इन्ही ने पुरे विश्व में Iskcon की स्थापना करके पुरे विश्व में Sanatan Dharma का प्रचार प्रसार किय था, इसी वजह से आज हमलोगो श्रील प्रभुपाद अच्छे से जान पाए है। तो चलिए दोस्तों आज में आपको Prabhupada Pranam Mantra Lyrics के बारे में अर्थ सहित बता देता हु।

Prabhupada Pranam Mantra Lyrics अर्थ सहित Step By Step

 

नमः ॐ विष्णु-पादाय -कृष्ण प्रेष्ठाय भूतले !

श्रीमते भक्तिवेदांत-स्वामिन् इति नामिने !!

नमस्ते सारस्वते देवे-गौर-वाणीप्रचारिणे !

निर्विशेष-शून्यवादि-पाश्चात्य देश-तारिणे !!

Shlok Meaning In Hindi

पहले  श्लोक के पहले लाइन

नमः –> प्रणाम ये नमन।

ॐ विष्णु-पादाय –> इसका अर्थ भगवन विष्णु के चरण के प्रति।

कृष्ण प्रेष्ठाय भूतले  –> जो इस पृथ्वी में भगवन कृष्ण के बहुत करीब हो ।

पहले श्लोक के दूसरे लाइन

श्रीमते भक्तिवेदांत –> भवन के महान और सम्प्पन।

स्वामिन् इति नामिने –> जिन्हे आध्यात्मिक गुरु का नाम दिया गया हो।

दूसरे श्लोक के पहले लाइन

नमस्ते सारस्वते देवे –> भगवन सरस्वती को प्रणाम जो ज्ञान और भक्ति के प्रतिक है ।

गौर-वाणीप्रचारिणे  –>  भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु का संदेश (गौरवाणी) फैलाने वाले ।

दूसरे श्लोक के दूसरे लाइन

निर्विशेष-शून्यवादि –> निर्विशेष मतलब अद्वैतवाद जो (भगवान व्रम्हा और आत्मा में कोई अंतर नहीं होता) , और शून्यवादि  जो सब कुछ शून्य है को विश्वास करने वाला ।

पाश्चात्य देश-तारिणे –> पचिमी देशो को उद्दार करने  वाला ।

Prabhupada Pranam Mantra Lyrics

पहले श्लोक का पूर्ण अर्थ हिंदी में 

नमः ॐ विष्णु-पादाय -कृष्ण प्रेष्ठाय भूतले !

श्रीमते भक्तिवेदांत-स्वामिन् इति नामिने !!

दोस्तों इस श्लोक का अर्थ होता है, की उस आचार्य जो श्री विष्णु के चरण के करीब है। दोस्तों भगवन विष्णु का होना इतना सरल नहीं होता उनकी कठोर तपस्या के बाद हमेगा उनका नाम जप करने के बाद श्री विष्णु के चरण के करीब होता है, तो श्रील प्रभुपाद अपने भक्ति के प्रतिक श्री विष्णु के चरण के करीब है।

दोस्तों श्रील प्रभुपाद ने अपने बाल्य ववस्ता से ही श्री कृष्णा को जानने और समजने का प्रयास करते रहे है। उन्होंने ये सब जानने के लिए Shrimad Bhagwat Geeta का पूरा अध्यन किया उसे पुरे से अच्छे तरीके से पड़ने और समजने का प्रयास किया, तब जेक इन्हे श्री कृष्णा को समजने और जानने का सामर्थ मिला।

दूसरे श्लोक का पूर्ण अर्थ हिंदी में 

नमस्ते सारस्वते देवे-गौर-वाणीप्रचारिणे !

निर्विशेष-शून्यवादि-पाश्चात्य देश-तारिणे !!

दोस्तों Prabhupada Pranam Mantra Lyrics में श्रील प्रभुपाद ये बता रहे है, की ये श्लोक उस संत महात्मा को समर्पित है, जो गौड़ीय वैष्णव परंपरा के अनुसार श्री चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं का आदर करते है। दोस्तों हमारे देश में कही संत महात्मा है उसके अलावे अलग अलग देशो में भी Sanatan Dharm को मानने वाले कही संत महात्मा है उसमे से कही लोग गौड़ीय वैष्णव परंपरा के अंतर्गत आते है, तो श्रील प्रभुपाद यही बताने का प्रयास कर रहे की, गौड़ीय वैष्णव परंपरा के जितने भी संत महात्मा है वो सब चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं का आदर करते है ये ज्ञान का प्रचार प्रसार करते है तो उनको ये श्लोक समर्पित है।

यह पद भगवान या किसी महापुरुष के गुणों का वर्णन करता है, जो शून्यवाद (अस्तित्व के शून्यता सिद्धांत) और निर्विशेष (निर्गुण और निराकार) के सिद्धांतों से प्रभावित पश्चिमी देशों को बचाने वाले हैं।

यह विशेष रूप से उन महान विभूतियों के लिए प्रयोग होता है जो पश्चिमी देशों में भारतीय दर्शन और वेदांत को प्रचारित करके उन लोगों को आध्यात्मिक दृष्टि से जागरूक किया। स्वामी विवेकानंद जैसे वेदांत प्रचारक, उदाहरण के लिए।

निष्कर्ष : दोस्तों श्रील प्रभुपादने सनातन धर्म को अच्छे से जानने के बाद उन्हें पुरे विश्व में भगवत गीता के जरिये प्रचार प्रसार किय है। दोस्तों अलग अलग जगहों पर अलग अलग Language  होने के कारन लोगो को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था तो श्रील प्रभुपाद ने फिर अलग अलग Language  के हिसाब से भगवत गीता को Translate करना शुरू कर दिया, जिससे लोगो को समझने में कोई दिक्कत नहीं हुवा तब लोगो ने भी Sanatan Dharm को अच्छे से जान पाया । दोस्तों श्रील प्रभुपाद ने हमें बहुत ऐसे शिक्षा देके गया जो आज भी हमलोग उसके निमयों को पालन करते है और है, हमलोग भी Bhagat Gita का प्रचार प्रसार करते है, और उन्ही को मंत्रो Prabhupada Pranam Mantra Lyrics के माध्यम से उन्हें याद करते है।

At What Age Srila Prabhupada Died – श्रील प्रभुपाद की मृत्यु कितने वर्ष में हुई?

श्रीला प्रभुपाद का जन्म सन्य 1896 में हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन श्री हरी के नाम दे चूका था उन्होंने कही भाषाओ में भगवत गीता को ट्रांसलेट किय था। उन्होंने अपने प्राण को छोड़ने से कुछ छन पहले भी भगवत गीता को ट्रांसलेट कर रहा था इस तरह उनकी मृत्यु 1977 हे हुवा था।

Srila Prabhupada Death Reason – श्रीला प्रभुपाद का मृत्यु कैसे हुवा

14 नवंबर 1977 को श्रीला एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की निधन हो गई, जिन्होंने इस्कॉन की स्थापना की थी। मुख्य रूप से उनकी सेहत में गिरावट और उम्र का प्रभाव उनकी मृत्यु का कारण था।
पादरी का शारीरिक स्वास्थ्य खराब होने लगा क्योंकि उन्होंने कई वर्षों तक कठोर काम किया और यात्रा की थी। वे किडनी फेलियर का सामना करना पड़ा क्योंकि वे किडनी की समस्याओं से पीड़ित थे। जबकि उनका स्वास्थ्य धीरे-धीरे बिगड़ता गया, उन्होंने अपनी मिशनरी गतिविधियों को जारी रखा।

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