शुद्धिकरण मंत्र इन हिंदी

हेलो दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे मंत्र के बारे में बताने वाला हूं जो आपके जीवन में प्राय हर जगह काम आते हैं । दोस्तों इस मंत्र से आप अपने मन को या अपने आध्यात्मिक जीवन को पवित्र कर सकते हो आप चाहे तो इस मंत्र की मदद से हर एक कार्य को शुद्ध कर सकते हो । दोस्तों इस मंत्र का नाम है  शुद्धिकरण मंत्र है । मैं आपको शुद्धिकरण मंत्र इन हिंदी में बताने वाला हूं । तो दोस्तों मैं इस मंत्र को आपको कैसे किस जगह पर किस तरह से प्रयोग करना है मैं आपको स्टेप बाय स्टेप बता देता हूं ।

शुद्धिकरण मंत्र इन हिंदी शुद्धिकरण मंत्र इन हिंदी : 

दोस्तों इस मंत्र की सहायता से आप कोई भी बड़े से बड़े कार्य को सफल  बना सकते हैं । आप इस मंत्र की सहायता से आध्यात्मिक जीवन में भी सफल प्राप्त कर सकते हैं आप चाहे तो कोई भी पूजा पाठ में भी इस मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं । शुद्धिकरण मंत्र की सहायता से आप कोई भी पूजा में किसी भी प्रकार के वस्तु या सामग्री को पूजा में प्रयोग करने से पहले शुद्ध कर सकते हैं । शुद्ध करने से पहले शुद्धिकरण का मंत्र बोलना बहुत आवश्यक है । तो यह मंत्र कुछ इस प्रकार है :

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥

अर्थ : इस मंत्र का अर्थ है चाहे कोई भी वस्तु या कोई भी प्राणी या कुछ भी पवित्र हो या अपवित्र यदि वह मन से भगवान विष्णु (पुंडरीकाक्ष) का स्मरण करता है तो वह अपने अंदर और बाहर पूर्ण रूप से शुद्ध हो जाता है।

एक एक शब्द का अर्थ 

  • : दोस्तों ॐ ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है और परमात्मा का प्रतीक है। यह अविनाशी, अनंत और निरंतर है।
  • अपवित्रः पवित्रो वा : शुद्धिकरण मंत्र में यह शब्द यह दर्शाता है कि व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में हो शुद्ध हो या अशुद्ध हो या फिर चाहे वह मानसिक या शारीरिक तौर से कमजोर हो तो इस परिस्थिति में उसे इस श्लोक से शुद्धता प्रदान कर सकता है ।
  • सर्वावस्थां गतोऽपि वा : इस श्लोक का भावार्थ यह होता है कि मनुष्य चाहे किसी भी परिस्थिति में हो दुख सुख या किसी भी प्रकार का स्थिति हो ईश्वर का नाम उसे शुद्ध कर देता है ।

  • यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं : यहां पर पुंडरीकाक्ष का अर्थ है भगवान विष्णु का एक प्रयुक्त नाम इस नाम का अर्थ से ईश्वर यह बताना चाह रहा है, कि इस इस नाम का मदद से व्यक्ति भगवान के प्रति दयालु और करुणामई हो जाता है । पुंडरीकाक्ष एक ऐसा शब्द है, जो भगवान के सरल भाव और शांति को दर्शाता है ।

  • स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः भगवान का स्मरण करने से साधक न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक और आत्मिक रूप से भी पवित्र हो जाता है।

    दोस्तों मैं आपको इस मंत्र का अर्थ शब्द के आधार पर बता दिया हूं आप चाहे तो एक-एक शब्द को अपने हिसाब से समझ सकते हैं ।

    शुद्धिकरण मंत्र के आध्यात्मिक लाभ 

    शुद्धिकरण मंत्र का जाप मन, आत्मा और शरीर को शुद्ध करके मानसिक शांति, आध्यात्मिक ऊर्जा का विकास, पापों का नाश, आत्मा की पवित्रता और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति प्रदान करता है. इससे साधक ध्यान और साधना में गहराई प्राप्त करता है और ईश्वर के समीप होता है। दोस्तों आप चाहे तो इस मंत्र का प्रयोग अपने रोज किए गए कार्यों में कर सकते हैं जैसे कि आप सुबह उठकर पूजा करते हैं भगवान की प्रार्थना करते हैं तो आप इस मंत्र का उपयोग इस कार्यों में कर सकते हैं जिससे परमात्मा आपसे खुश होकर आशीर्वाद देगा और आपके जीवन में खुशहाली प्रदान करेगा । निष्कर्ष : तो दोस्तों मैं आपको शुद्धिकरण मंत्र इन हिंदी में बता दिया हूं आप चाहे तो इस मंत्र का जाप करके अपने दैनिक जीवन में लाभ प्राप्त कर सकते हैं । दोस्तों इस मंत्र का जब से आपको कई तरह के लाभ प्राप्त हो सकते हैं जैसे की आध्यात्मिक शारीरिक मानसिक और पारिवारिक जैसे लाभ प्राप्त हो सकते हैं । अगर आपको थोड़ा सा भी यह Article अच्छा लगा हो तो आप इस ब्लॉक को Subcribe कर सकते हैं मैं आपके लिए इसी तरह के अच्छे-अच्छे जानकारी के बारे में बताता रहूंगा ।

    FAQ :

    Puja शुरू करने से पहले कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
दोस्तों पूजा करने से पहले हमें कुछ मंत्र का प्रयोग करना चाहिए जिससे हमारा पूजा पूर्ण रूप से संपन्न हो सके । पूजा करने से पहले हमें कुछ मंत्र का प्रयोग करना चाहिए हमें सबसे पहले एक जलपान में शुद्ध जल को ले ले और इस तरह से कुछ  मंत्र का आचरण करें यह मंत्र मैं आपको नीचे एक के बाद एक दे रहा हूं ।दोस्तों में आपको जो भी मंत्र बताऊंगा उसे आपको तीन बार उच्चारण करना होगा । ॐ केशवाय नमः ॐ नारायणाय नमः ॐ माधवाय नमः ॐ ऋषिकेशाय नमः

पूजा की शुरुआत कैसे करनी चाहिए?

दोस्तों पूजा को शुरू करने से पहले हमें कुछ चीजों का ध्यान रखना बहुत ही अति आवश्यक है हमें सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध और स्वच्छ रखना जरूरी है और फिर एक आसन या चादर को बढ़ा के शांति और सुख का प्रतीक के करना जरूरी है इस तरह से हमारा पूजा शुद्ध रूप से आरंभ होता है

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