Hello दोस्तों आज में आपको Chama Prarthana Mantra में बताने वाला हु। दोस्तों छमा प्रार्थना मंत्र एक अत्यधिक प्रभावी आध्यात्मिक उपाय है। यह आत्मिक शुद्धि और मन की शांति के लिए किया जाता है। यह मंत्र आत्म-शुद्धि और क्षमा याचना का प्रतीक है।यह एक व्यक्ति को अपने व्यवहार पर जागरूक बनाता है। व्यक्ति को इस मंत्र का उच्चारण और जाप करना आध्यात्मिक विकास में मदद करता है। तो दोस्तों में आपको इस Mantra को Step By Step Guide कर देता हु।
Chama Prarthana Mantra – Step By Step Guide
दोस्तों जब हमलोग कोई भी पूजा पाठ करते है तो हमसे कुछ गलतिया हो जाती जिससे जिसके लिए हमें परमात्मा से क्षमा मांगना पड़ता है, जिससे हमलोगो का पूजा पूर्ण रूप से सम्मन हो पाता है। तो दोस्तों में आपको Proper इस मंत्र के बारे में बताऊंगा और ये भी बताऊंगा की कैसे हम देवी की पूजा पूर्ण रूप से संपन्न कर सकते है। दोस्तों चलिए में आपको Chama Prarthana Mantra में बता देता हु।
ॐ अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया |
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि || 1 ||
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् |
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि || 2 ||
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि |
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु में || 3 ||
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत् |
यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः || 4 ||
सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके |
इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरु || 5 ||
अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम् |
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि || 6 ||
कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानंदविग्रहे |
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि || 7 ||
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम् |
सिद्धिर्भवतु में देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि || 8 ||
Chama Prarthana Mantra के अर्थ
Dosto इस Chama Prarthana Mantra में अनेक ऐसे गुण छिपे हुए है जो आपको शायद आगयात न हो। इस शोलोक के प्रत्येक लाइन में एक विशेष महत्व है, तो में आपको इन साडी शोलोक का हिंदी में वर्णन कर देता हु।
ॐ अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया |
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि || 1 ||
अर्थ हिंदी में : दोस्तों इस शोलोक में भक्त ये बताना चाह रहा है, की वो प्रतयेक दिन अनेको गलतिया और अपराध करता है इस शोलोक में “अपराधसहस्राणि” का यह अर्थ अनेक गलतिया ये अपराध बताया गया है। भक्त फिर बताना चाह रहा है, की उसे अपने दाश के रुपए में मानते हुए उसके सारे अनेको गलतियों को ईस्वर माफ़ कर दे। भक्त इस शोलोक में इन सारी भावनाओ को परमात्मा के सामने रखने का प्रयास कर रहे है।
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् |
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि || 2 ||
अर्थ हिंदी में : इस शोलोक में भक्त ये बताने का प्रयास कर रहे है, की उसे पूजा करने की कोइ भी प्रक्रिया नहीं आता उसे ये भी ज्ञात नहीं है की पूजा के बाद विसर्जन प्रकिया होती है। तो भक्त इन सारी गलतियों को परमात्मा के सामने सच्चे भाव से प्रकट करते है, जिससे वह अपने सच्चाइयो को जान पाते है और परमात्मा के सामने अपने भाव को रख पाते है।
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि |
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु में || 3 ||
अर्थ हिंदी में : इस शोलोक में भक्त देवी से ये प्राथना कर रहे है, की उसे पूजा का ज्ञान पूर्ण रूप से ज्ञात नहीं है इसलिए वो इस सरल पूजा को सम्पूर्ण मानने मानने की क्षमा प्राथना कर रहा है वो देवी से ये भी प्राथना कर रहा है की उससे पूर्ण रूप से मंत्रो को उच्चारण नहीं हो सकता है उसमे कुछ अनजाने में गलतिया हो सकती है और भक्ति भी कमजोर पड़ सकती है तो वो देवी से यही प्राथन कर रहा है की उसकी पूजा को सम्पूर्ण बनाये और उन्हें आशीर्वाद दे।
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत् |
यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः || 4 ||
अर्थ हिंदी में : इस शोलोक में यह बताया गया है, की यदि कोई इंसान सैकड़ों अपराध करता है, फिर भी वह देवी जगदंमा का स्तुति करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है जो की स्वयं ब्रम्हा या कोई दूसरे देवता को भी नहीं प्राप्त होते है। यह श्लोक का यही मतलब है की अगर कोई भी देवी को पूजा या प्राथना करता है तो देवी खुश होकर उसे आशिर्बाद देता है।
सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके |
इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरु || 5 ||
अर्थ हिंदी में : दोस्तों भक्त इस श्लोक में ये बोलना च रहा है कि वह डंडई है और देवी जगदम्बा की सहायता लेता है। यहाँ, भक्त देवी से कृपा की मांग करता है और अपने आप को पूरी तरह से उसकी इच्छा पर छोड़ देता है, जो वह उचित समझे। यह श्लोक भक्त का पूरा विश्वास और देवी के प्रति समर्पण को दिखाता है।
अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम् |
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि || 6 ||
अर्थ हिंदी में : इस श्लोक में भक्त ये बताना चाह रहा है, एक भक्त द्वारा जो भी जाने अनजाने में गलतिया होती है ये फिर ग़लतफ़हमी के वजह से कोई भी गलती हो भक्त उसके लिए देवी से क्षमा याचना की प्राथना करता है। इस श्लोक से भक्त देवी से देवी से ये भी प्राथना करता है उसकी खर गलती को छमा करके देवी उसे प्रसाद के रूप में आशिर्बाद प्रदान करे।
कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानंदविग्रहे |
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि || 7 ||
अर्थ हिंदी में : भक्त इस श्लोक में देवी को “कामेश्वरी” और “जगन्माता” कहकर संबोधित करता है, जो इच्छाओं की अधिष्ठात्री और समस्त सृष्टि की जननी हैं। ‘सच्चिदानंदविग्रह’ का तात्पर्य है ‘सत्-चित्-आनंद’ (अस्तित्व, चेतना और आनंद) का स्वरूप। भक्त देवी से प्रार्थना करता है कि वे उसकी पूजा स्वीकार करें और प्रसन्न हों। इस श्लोक में देवी की दिव्यता और उनके सर्वव्यापक स्वरूप की सुंदर स्तुति की गई है।
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम् |
सिद्धिर्भवतु में देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि || 8 ||
अर्थ हिंदी में : इस श्लोक में भक्त देवी से कुछ महत्वपूर्ण चीजों की रक्षा के लिए आगमन करता करता है। भक्त देवी से यह प्राथना करता है की उसने जो भी प्राथना परमात्मा के सामने रखा है उन सब प्राथना की सिद्धि देवी से कृपा करता है और देवी से आशिर्बाद पाने की भी इच्छा रखता है।
Chama Prarthana Mantra के महत्त्व और लाभ
दोस्तों हमें परमात्मा के सामने क्षमा प्राथना करने से पूजा में जो भी गलतिया जैसे : ठीक से मंत्र उच्चारण न होना, मन इधर उधर भटकना, भक्ति का कमजोर पड़ना अदि ये सब गलतिया देवी क्षमा कर देता है। क्षमा प्राथना से हमारे पूजा भी परं रूप से सम्प्पन हो पता है। आप छाए कोई भी गलती करते आप विसर्जन कटे टाइम भी कुछ जाने अनजाने में गलतिया हो जाती है इस परिस्थि में भी देवी से क्षमा मांगने से देवी क्षमा कर देती है।
निष्कर्ष : दोस्तों Chama Prarthana Mantra में मैंने जिस तरह से आपको बताया है आशा करता हु की आप पूर्ण रूप से समाज गए होंगे। दोस्तों इस श्लोक में भक्त देवी से गलतिया और अपराधो का चमा मांगता है और, देवी से ये भी Request करता है उसकी पूजा में मंत्रों का उचित उच्चारण और भक्ति का कमजोर पड़ना इन्ही सब गलतिया का देवी से छमा मांगता है। भक्त देवी से आशिर्बाद मांगता है की उनसे जाने अनजाने में जो भी गलतिया हुए है उन सब गलतियों छमा करके उन्हें प्रसाद से रूप में आशिर्बाद प्रदान करे।
FAQ :
आरती के बाद कौन सा मंत्र बोला जाता है?
दोस्तों हमलोग जब आरती करते है , तब हमलोग आरती का मंत्र की स्तुति करते लकिन दोस्तों जब आरती अंत जाता है तब हमलोगो को और एक मंत्र बोलना पड़ता है तो वो मंत्र इस प्रकार है
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामि।।
संकट आने पर कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
दोस्तों हमारे ऊपर संकट आते है छाए वो कोई भी संकट हो तो हमें संकट में सबसे एक ही मंत्र का जाप करना चाइये इस मंत्र से दोस्तों बड़े से बड़े कष्टों का निवारण है जिससे भगवन भी इससे प्रस्सन होते है तो कुछ इस प्रकार है ये मंत्र
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः ।।
कर्पूर गौरम करुणावतारं Lyrics in Hindi
“कर्पूर गौरम करुणावतारं संसारसारं भुजगेंद्रहारम्” भगवान शिव को नमन करने का एक मंत्र है। शिव यजुर मंत्र भी कहलाता है, यह मंत्र यजुर्वेद में मिलता है। यह मंत्र भगवान शिव के प्रकाशमय, शुद्ध और प्रकाशमय स्वरूप की प्रशंसा करता है। इस मंत्र की व्याख्या:
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