Santan Saptami Sankalpa Mantra के महत्व और इसे अपनाने के सही तरीके

Hello दोस्तों आज में आपको एक ऐसे Mantra के बारे में बताने वाला हु जो अक्सर हरेक लोगो के जीवन में उपयोग होता है, दोस्तों आज में आपको Santan Saptami Sankalpa Mantra के बारे में बताने वाला हु। हमलोग इस मंत्र की मदद से किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले बोलते है, और एक संकल्प लेते है, कि व्यक्ति जो भी कार्य करेगा सच्चे मन और लगन से करेगा। दोस्तों इस Mantra को बोलने का कुछ उद्देश्य जो में निचे बता देता हु। Santan Saptami Sankalpa Mantra

Sankalp Mantra का उद्देश्य :

दृढ़ निर्णय करना : संकल्प मंत्र हमारे जीवन में एक निष्ठावान विश्वास को उत्पन करना और अपने लक्ष्य को पाना इस विश्वास के आत्म-शक्ति को बढ़ाना। इच्छाशक्ति को केंद्रित करना : जीवन में हमें कोई भी लक्ष्य को पाना हो इसके लिए मन में इच्छाशक्ति का होना जरुरी है और Santan Saptami Sankalpa Mantra का यही उद्देश्य है, की हमारे मन के इच्छाशक्ति को उसी दिशा में केंद्रित करे। नकारात्मकता ऊर्जा का नाश करना : यह मंत्र हमारी आत्माओं से भय, संदेह और नकारात्मक विचारों को दूर करके हमें एक सकारात्मक दृष्टिकोण देता है और हमारे मन से नकारात्मकता ऊर्जा को नाश करने में मदद करता है। कर्म और धर्म का मार्गदर्शन : दोस्तों अगर हमारा मन भटकता है, तो ये Santan Saptami Sankalpa Mantra हमें धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ाना : इस मंत्र का नियमित अभ्यास हमें आत्मविश्वास देता है और हमें भावनात्मक और मानसिक रूप से मजबूत बनाता है। देवताओं का आह्वान : दोस्तों इस मंत्र की सहयता से हम देवताओं का आह्वान करते है ताकि वो हामरे कार्यो में सहायता प्रदान करें ।

Sankalp Mantra संस्कृत में 

“ऊँ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीमद् भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्य ब्रह्मणो द्वितीय परार्धे श्रीश्वेतवराहकल्पे, वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलि प्रथम चरणे, जम्बूद्वीपे, भारतवर्षे, भरतखंडे, (अपने स्थान का नाम), मासे (अपने मास का नाम), शुक्ल/कृष्ण पक्षे, (तिथि) तिथौ, (वार) वासरे, (नक्षत्र) नक्षत्रे, (योग) योगे, (करण) करणे, एवं गुण विशेषण विशिष्टायां अस्यां (तिथि) तिथौ, (अपना नाम), (अपना गोत्र) गोत्रोत्पन्नः, अहं गृहे, (देवता का नाम) प्रीत्यर्थं, (पूजा/अनुष्ठान का उद्देश्य) करिष्ये।”

Sankalp Mantra का सरल अनुवाद

  • ऊँ – दोस्तों ॐ ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है और परमात्मा का प्रतीक है। यह अविनाशी, अनंत और निरंतर है।
  • विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः – इसमें विष्णु जी का 3 बार वर्णन किया गया है जो उनकी महिमा और उदारता को दर्शाता है।
  • श्रीमद् भगवतो महापुरुषस्य – दोस्तों श्रीमद् का अर्थ पवित्रता, आदर और गौरव से परिपूर्ण और भगवतो का अर्थ भगवान को सम्बोदित करना तथा महापुरुषस्य का अर्थ भगवान के महानता को निर्देशित करना।
  • विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य – इस मंत्र का अर्थ में ये बोला जाता है आप जो भी कर रहे भगवान विष्णु के आज्ञा से ही कर रहे है।
  • अद्य – दोस्तों अद्य का मतलब आज होता होता है।
  • ब्रह्मणो द्वितीय परार्धे – इसका अर्थ ब्रह्मा के जीवन के दूसरे परार्ध (दूसरे आधे भाग) में र्तमान समय का संदर्भ।
  • श्रीश्वेतवराहकल्पे – अर्थात, यह वह समय है जब सृष्टि श्वेतवराह कल्प के अंतर्गत है।
  • वैवस्वतमन्वन्तरे – यह 71 चतुर्युगों (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग) के बराबर है, और हर मन्वन्तर का शासन एक अलग मनु करता है, जिसका अर्थ है “मनु का युग”।
  • अष्टाविंशतितमे कलियुगे –  दोस्तों Santan Saptami Sankalpa Mantra में अष्टाविंशतितमे कलियुगे का अर्थ है, कि यह वैवस्वत मन्वन्तर के 28वें चतुर्युग का कलियुग है।
  • कलियुगे, कलि प्रथम चरणे – कलयुग के प्रथम चरण में 
  • जम्बूद्वीपे, भारतवर्षे, भरतखंडे – दोस्तों इसका अर्थ जम्बूद्वीप (पृथ्वी के सात द्वीपों में से एक), भारतवर्ष (राजा भरत के नाम पर), और भरतखंड (भारत का विशिष्ट क्षेत्र) में स्थित हैं।
  • (अपने स्थान का नाम), मासे (अपने मास का नाम), शुक्ल/कृष्ण पक्षे, (तिथि) तिथौ, (वार) वासरे, (नक्षत्र) नक्षत्रे, (योग) योगे, (करण) करणे – दोस्तों इसमें अपने स्थान का नाम , अपने महीना का नाम , तिथि , वार , नक्षत्र , योग , और  कारण को बोलना पड़ता है। 
  • एवं गुण विशेषण विशिष्टायां अस्यां (तिथि) तिथौ – इसमें विशेष तिथि के साथ जुड़े हुए गुण और विशेषताएँ हैं।
  • (अपना नाम), (अपना गोत्र) गोत्रोत्पन्नः – दोस्तों इसमें अपना नाम और गोत्र का उच्चारण करे।
  • अहं गृहे, (देवता का नाम) प्रीत्यर्थं, (पूजा/अनुष्ठान का उद्देश्य) करिष्ये। – दोस्तों इसमें अहं गृहे बोलने के बाद अपना देवता का नाम बोले और पूजा करने का उद्देश्य बोले फिर करिष्ये बोलके इस मंत्र को समाप्त करे।
तो दोस्तों मैंने आपको इस मंत्र का पूरा अर्थ हिंदी में बता दिया है आपको किस तरह मंत्र को बोलना है किस जगह पे क्या बोलना है मैंने आपको ऊपर इसका अर्थ पूर्ण रूप से बता दिय हु। इसके अलावे आप रोज का Santan Saptami Sankalpa Mantra का भी जप कर सकते है में आपको इसका लिंक दे रहा हु     – रोज का संकल्प मंत्र 

और भी जाने : छमा प्रार्थना मंत्र

Sankalp Mantra के लाभ

संकल्प मंत्र का उच्चारण हिंदू धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में अत्यंत महत्वपूर्ण है। दोस्तों इस मंत्र की सहायता से हम किसी भी बड़े से बड़े पूजा अनुस्ठान को संपन्न कर सकते है इसे नियमित रूप से उपयोग करने से हमें अनेको लाभ मिलते है। दोस्तों Santan Saptami Sankalpa Mantra से हमारे जीवन में कार्य का उद्देश्य स्पष्ट होता है , मंत्र का उच्चारण के दौरान हमारे मानसिक शांत रहता यही जिससे मन की एकाग्रता बढ़ता है । इसे हमें कर्म और धर्म की स्पष्टता , ऊर्जा का प्रवाह , लक्ष्य की प्राप्ति , आध्यात्मिक उन्नति ,जैसे अनेको लाफ होते इसलिए दोस्तों हमलोग पूजा पथ के दौरान इस मंत्र का जप करते है।

Sankalpa Mantra PDF

दोस्तों Sankalp Mantra बार बार पढ़ने में आपको शायद दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है इसलिए में आपके लिए एक PDF File बना के दूंगा, जिससे आपको इस पुरे मंत्र एक ही Page में दिख जायेगा और पढ़ने में भी आसानी होगी। तो दोस्तों में आपको Santan Saptami Sankalpa Mantra के PDF को निचे दे देता हु आप छाए इसको download करके पढ़ सकते है ।

PDF LINK :  Click Here

निष्कर्ष : तो दोस्तों मैंने आपको Sankalp Mantra के बारे में Step By Step बता दिया हु आशा करता हु की आपको समाज में आ गया होगा। दोस्तों मैंने आपको पुरे तरीके से इस मंत्र को बता दिया हु, और इस मंत्र से जुड़े और भी मंत्र के बारे में बता दिया हु तो अगर आपको थोड़ा सा भी अच्छा लगा हो तो मुझे आप Flow कर सकते हो में इसी तरह के Content के बारे में बताता रहता हु Thanku.

संकल्प लेते समय क्या बोलना चाहिए?

दोस्तों संकलप लेते समय आपको ये बोलना है की आप जो भी उदेश्य से संकल्प ले रहे है उस उदेश्य स्तुति करनी होगी और भगवन से ये प्राथना करना होगा की आप जो करेंगे सच्चे दिल से करेंगे और आप कोई भी पूजा या कोई भी कार्य उस कार्य को आप सच्चे दिल से करेंगे यही संकल्प पहले बोलना पड़ता है।

देवता को कैसे बुलाया जाता है?

दोस्तों देवताओं को बिलने के लिए कुछ जरुरी बातो को धयान देना जरुरी होता है। आपको सबसे पहले स्नान करना पड़ेगा फिर भगवान को स्नान करवाना पड़ेगा उसके बाद सारी भगवान की समंग्री इकट्ठी करनी पड़ेगी उसके बाद भगवान के सामने मोन ओकर प्राथना करना पड़ेगा और कुछ मंत्र जैसे : नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः जैसे मंत्र का जप करना पड़ेगा तभी भगवान खुश होकर आपको आशिर्बाद देंगे।

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